‘नीरज’ ने ढूंढ ही निकाला भटकी हुई महिला के परिजनों को
“कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती” राजेंद्र श्रीवास्तव ‘नीरज’ ने ढूंढ ही निकाला भटकी हुई महिला के परिजनों को.
गुजरात के पंचमहल जिले के गांव नई कांतड़ी, अम्बाली, पोस्ट गोधरा की रहने वाली निकली महिला।
मेघनगर/झाबुआ विगत 27 जुलाई को एक मानसिक रूप से कमजोर महिला अपनों से भटककर मेघनगर जिला झाबुआ मध्यप्रदेश आ पहुंची थी। दो दिनों तक वह मेघनगर के साईं मंदिर के पास गुमशुम स्थिति में पड़ी हुई थी, जिसकी सूचना धर्मेंद्र पाटीदार ने क्षेत्र से सामाजिक कार्यकर्ता ग्रामीण वनवासी संघ के कार्यकारी अध्यक्ष राजेंद्र श्रीवास्तव को दी। श्रीवास्तव वर्षों से ऐसे ही भटके बिछड़े तथा मानसिक अस्थिरता वाले दिव्यांगजनों के लिए कार्यरत हैं। श्रीवास्तव ने तत्काल उक्त भटकी महिला की सूचना 100 डायल को दी और पुलिस के साथ सहयोग कर महिला का स्वास्थ्य परीक्षण करवा कर जिला स्थित वन स्टॉप सेंटर भिजवाया। अपने स्तर से करते हैं काउंसलिंग श्रीवास्तव ने बताया कि जब भी कोई भटक कर आ जाता है और उसके घर परिवार का पता लगाना होता है तो वह अपनी विधा से उसका पता लगा ही लेते हैं जिसमें उन्हें हर बार सफलता ही मिलती है। जैसा उक्त केस में भी उन्होंने महिला से सतत बातें की और पॉइंट टू पॉइंट बातों को नोट किया, जिसमें सामान्य जानकारी होती है जैसे नाम, परिजनों के नाम, उनके कार्य, व्यवसाय, आवागमन की स्थिति जैसे विषयों पर बातों बातों में जानने का प्रयास करना कि उक्त भटके की बोली भाषा क्या है, पहनावा कैसा है से भटके की काउंसलिंग करने के साथ साथ फोटो विडीओ को गूगल, सोशल साइट्स के जरिये फैला कर परिजनों को तलाशते हैं।
अपनों से बेघर हुई महिला जिसकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी भटककर मेघनगर पहुंची थी जिसकी सूचना पुलिस को भी दी गई थी। पुलिस ने गंभीरता से महिला के परिजन की तलाश शुरू की, जिले के पुलिस अधीक्षक श्री पद्म विलोचन शुक्ल के मार्गदर्शन में मेघनगर थानाधिकारी के.एल.बरखडे ने उक्त केस में महिला हेड कॉन्स्टेबल रेखा बारिया 319 व आरक्षक रेखा पटेल 627 को मेघनगर के सामाजिक कार्यकर्ता राजेन्द्र श्रीवास्तव की मदद से परिजन तलाश में लगाया, भटकी महिला को वन स्टॉप सेंटर में रखा गया, जहां सेंटर की प्रबंधक श्रीमती लीला परमार व स्टाफ ने महिला को परिवार जैसा माहौल दिया।
बीती रात श्रीवास्तव के संपर्क परिजन से हो गया। परिवार ने भेजे फोटो से पहचान कर ली कि उक्त उनके परिवार की सदस्य है, आज दिनांक 4 अगस्त को परिजन महिला को लेने पहुंचे। सम्पूर्ण विभागीय दस्तावेज पूर्ति के बाद भटकी रमिला की अपने परिवार के साथ घर वापसी हुई। जिले सहित क्षेत्र के प्रबुद्धजनों सहित समाजसेवीयों ने श्रीवास्तव के कार्यों की प्रसंशा करते हुए बधाई दी।
हिमांशु त्रिवेदी, भील भूमि समाचार