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झाबुआ: आदिवासी संगीत को दुनिया तक पहुंचाने झाबुआ आ रहे देश के मशहूर प्रोड्यूसर, डायरेक्टर और संगीतकार

झाबुआ का आदिवासी संगीत पहुंच रहा दुनिया तक: 17 मार्च को मुंबई से झाबुआ पहुंच रहे मशहूर गीतकार और संगीतकार- 35 प्लेटफॉर्म पर एक साथ रिलीज होगा आदिवासी गीत

झाबुआ के युवा कलाकार अजीत सिंह राठौर ने आदिवासी लोकगीतों को आधुनिक संगीत में ढालकर अंतरराष्ट्रीय मंच तक पहुंचाने का बड़ा काम कर दिखाया है। उनके इस प्रोजेक्ट में स्थानीय कलाकारों को भी अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर मिला है। 17 मार्च 2025 को होने जा रहे ऐतिहासिक म्यूजिक लॉन्च के मौके पर मुंबई से ‘देव डी’ और ‘उड़ता पंजाब’ के गीतकार शैली, ‘फंस गए रे ओबामा’ और ‘किस्सा’ जैसी फिल्मों के संगीतकार मनीष जे. टीपू, ‘न्यूयॉर्क’ और ‘तेरा ही करम’ के म्यूजिक कंपोज़र पंकज अवस्थी, फिल्म प्रोड्यूसर अमित देसाई, और गुजराती व हिंदी फिल्मों के डायरेक्टर अभिषेक जैन विशेष रूप से झाबुआ आ रहे हैं।

35 से अधिक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्लेटफॉर्म पर रिलीज

एएसआर म्यूजिक रिकॉर्ड्स के बैनर तले 17 मार्च को यह गीत यूट्यूब, इंस्टाग्राम, स्पॉटिफाई, एप्पल म्यूजिक, अमेज़न म्यूजिक, जिओ सावन, हंगामा समेत 35 से अधिक प्लेटफॉर्म पर एक साथ लॉन्च किया जाएगा, जिससे संगीत प्रेमी इसे आसानी से सुन और देख सकेंगे।

झाबुआ-अलीराजपुर की लोकसंस्कृति का अनूठा संगम

इस म्यूजिक वीडियो की शूटिंग 2025 के झाबुआ, अलीराजपुर, वालपुर, राणापुर और भगोरिया मेले में की गई है। इसमें झूले-चकरी के दृश्य, युवक-युवतियों के पारंपरिक नृत्य, मांदल मंडलियों की थाप और कुर्राटी लगाते चेहरों को बखूबी दर्शाया गया है, जिससे यह वीडियो आदिवासी संस्कृति की जीवंत झलक देगा।

स्थानीय कलाकारों को बड़ा मंच

अजीत ने बताया कि इस गाने के लिए वे खासतौर से मुंबई से भगोरिया के दौरान झाबुआ आए। गीत को मुंबई में कंपोज और प्रोग्राम किया गया, जबकि झाबुआ के लोक कलाकारों जेके और पाचू की आवाज को अघोर आर्ट स्टूडियो में रिकॉर्ड किया गया। मांदल की थाप को भी यहीं रिकॉर्ड किया गया है। वीडियो का आर्ट डिज़ाइन झाबुआ के ही कलाकार अभिषेक ने तैयार किया है।

राष्ट्रपति पुरस्कार विजेता हैं अजीत सिंह राठौर

अजीत सिंह राठौर बहुमुखी प्रतिभा के धनी कलाकार हैं। उन्हें दो बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिल चुका है। झाबुआ के पारंपरिक लोकसंगीत को विश्वस्तर पर पहुंचाने की उनकी यह पहल, जिले की सांस्कृतिक धरोहर को नई ऊंचाइयों तक ले जाने का काम करेगी।

हिमांशु त्रिवेदी, संपादक भील भूमि समाचार, Reg.MPHIN/2023/87093

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