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खास खबर: झाबुआ नगरपालिका: बिट्टू क्यों कमज़ोर, कैसे चल रहा छुट भैयों का ज़ोर?

झाबुआ।

अवैध मास-मटन के विरुद्ध कार्यवाही में शासकीय कार्य में बाधा डालने वालों पर नगरपालिका नहीं करती कार्यवाही, उसका ठेका हिंदू संगठन और हिंदूवादी पत्रकारों का है! लेकिन जिले से बाहर यात्रा पर गए वृद्ध हिंदू पेंशनर्स को नगर पालिका ने बना दिया शासकीय कार्य में बाधा डालने का मुजरिम?

आरटीआई में बड़ा खुलासा: हैंड पंप रिपेयरिंग में दानिश भाईजान और “हिंद रक्षक” की साथ सांठ-गांठ, अकेले हैंड पंप रिपेयर के लिए 50 लाख की स्वीकृति? टेंडर प्रक्रिया में भाई जान जीते या जितवाया? वार्ड 6 के अघोषित पार्षद प्रतिनिधि संभालते हैं दानिश भाई का काम?

क्या है मामला:

  • वार्ड क्रमांक 6 में राजवाड़ा चौक से गोवर्धननाथ मंदिर तिराहे तक (राम मंदिर रोड़) रोड़ के दोनों ओर पेवर्स लगाने का प्रस्ताव वार्ड प्रतिनिधि द्वारा लाया गया
  • रहवासियों की आपत्ति: शासन के पैसे की बरबादी क्यों? पहले से बने 50 हजार के सुंदर ओटले तोड़कर 5 हजार के पैवर्स क्यों? जहां नगर पालिका के पास कर्मचारियों का देने के लिए वेतन नहीं हैं वहां ऐसी फिजूलखर्ची किस ओर इशारा करती है?
  • बिट्टू सिंगार का आश्वासन: कोई बाध्यता नहीं है। जो रहवासी चाहेंगे वही होगा
  • बिट्टू सिंगार के आश्वासन साबित हुआ झूठा! वरिष्ठ नागरिकों द्वारा बिट्टू सिंगार से चर्चा करने पर सीएमओ ने कथित 5 परिवारों को भेज दिए शासकीय कार्य में बाधा डालने के नोटिस
  • अजब गजब: एक वृद्ध नागरिक जो झाबुआ तो क्या भारत में भी नहीं थे, उन्होंने विदेश में बैठकर कैसे झाबुआ के शासकीय कार्य में बाधा डाल दी?
  • क्या हुआ बिट्टू सिंगार के वचन का (रघुकुल रीत सदा चली आई प्राण जाए पर वचन न जाई)??
  • हर्षित उर्फ अभिमन्यु बेस बार-बार विवादित!

नगर पालिका झाबुआ के वार्ड क्रमांक 6 में एक घटनाक्रम ने नगर पालिका की गरिमा, जिम्मेदारों की विश्वसनीयता और वरिष्ठ नागरिकों के सम्मान पर गंभीर प्रश्नचिन्ह खड़े कर दिए हैं।

यह सब शुरू हुआ एक पेवर ब्लॉक लगाने के प्रस्ताव से — जिसे कथित रूप से वार्ड क्रमांक 6 पार्षद के प्रतिनिधि द्वारा लाया गया था।

मजबूत और सुंदर ओंटलों में पेवर लगाने पर आपत्ति: एक जिम्मेदार सवाल

झाबुआ की गरीब बस्तियों में सौंदर्यीकरण करने की बात तो समझ आती है लेकिन सौंदर्यीकरण का यह प्रस्ताव उस मोहल्ले में लाया गया जहाँ आर्थिक रूप से संपन्न लोग रहते हैं। यहां रहने वालों ने वर्षों पूर्व अपने निजी खर्च से सुंदर, मजबूत और आकर्षक ओटले बनवा रखे हैं।
ऐसे में यहां बने 50 हजार के सुंदर ओंटले तोड़कर 5 हजार के साधारण पैवर्स लगाना सौंदर्यीकरण है या शासकीय पैसों का दुरुपयोग?

बिट्टू सिंगार का वचन: “कोई बाध्यता नहीं”

कार्य शुरू होने से एक रात पहले रात 8 बजे रहवासियों ने नगर पालिका अध्यक्ष प्रतिनिधि श्री बिट्टू सिंगार को बुलाया।

जनता के समक्ष बिट्टू सिंगार ने घोषित किया:

“यह कार्य सिर्फ लेवलिंग का है, कोई बाध्यता नहीं है। रहवासी जैसा चाहेंगे वैसा ही होगा। कोई जबरन तोड़ फोड़ नहीं कर सकता”

वादे के उलट 16 जून को भेज दिए नोटिस!

रहवासियों ने अध्यक्ष प्रतिनिधि के रूप में बिट्टू सिंगार के वचनों को अंतिम एवं निर्णायक मान कर आभार व्यक्त किया। लेकिन 16 जून को नगरपालिका ने कथित रूप से 5 रहवासियों को शासकीय कार्य में बाधा डालने एवं कार्यवाही करने के नोटिस भेज दिए!! इसे लेकर रहवासियों में जनप्रतिनिधि की कार्यशैली और पद की गरिमा को लेकर गहरा असंतोष व्याप्त हो गया।

“कार्य शुरू होने से पूर्व जनप्रतिनिधि से चर्चा करने को क्या शासकीय कार्य में बाधा डालना कहते हैं? फिर वरिष्ठ नागरिकों के नाम निराधार नोटिस क्यों”

शासकीय कार्य में बाधा डालना तब माना जाता है जब कोई व्यक्ति मौके पर पहुंचकर कर्मचारियों को धमकाए, रोके या अपमानित करे।

क्या हम हैं सॉफ्ट टारगेट?

कुछ ही दिनों पूर्व हिंदू संगठनों ने नगर पालिका की कार्यशैली पर प्रश्न उठाया था। क्योंकि तब कुछ वीडियो वायरल हुए थे जिसमें अवैध मांस मटन के विरुद्ध हो रही कार्रवाई में कुछ लोग रुकावट पैदा कर रहे थे। लेकिन नगर पालिका ने उनके विरुद्ध शासकीय कार्य में बाधा डालने की एफआईआर दर्ज नहीं करवाई!! सूत्र बताते हैं कार्यवाही बाद में हिंदू संगठनों के आंदोलन की चेतावनी के बाद हो पाई। लेकिन आज एक निराधार प्रकरण में हिंदू समाज के वृद्ध जनों को शासकीय कार्य में बाधा डालने का आरोपी बनाया जा रहा है!!

नगर पालिका जिसे शासकीय कार्य में बाधा डालने का दोषी बना रही है उनमें से एक वरिष्ठ समाजसेवी तो 8 अप्रैल से 11 जून (2 महीने) जिले क्या देश में ही नहीं थे।

यह पहला मामला नहीं: हर्षित अभिमन्यु मेहरूनी का अतीत भी सवालों के घेरे में

कथित रूप से नगर के व्यवसायियों को यह जानकर आश्चर्य नहीं हुआ कि इस विवाद के पीछे फिर से हर्षित उर्फ अभिमन्यु मेहरूनी का नाम सामने आ रहा है।

▪️कथित रूप से पूर्व में भी उन्होंने हीरामणि ज्वेलर्स के सामने लगे विद्युत पोल को हटाने के मामले में अपने ही वार्ड के निवासी व्यापारी के बनते कार्य में अड़ंगा डाला था, जबकि यह मामला एमपीईबी का था जहां से स्वीकृति मिल चुकी थी।

कथित रूप से पत्रकार द्वारा पूछे जाने पर उन्होंने कहा था, “एमपीईबी वाले मेरी बात नहीं सुनते, फोन नहीं उठाते, तो मैं भी अपने वार्ड में किसी का काम नहीं होने दूंगा।” (यही बात वे शांति समित की बैठक में एसडीओपी व अन्य शांति समिति सदस्यों के सामने भी कह चुके हैं।)

उस समय भाजपा के पूर्व जिलाअध्यक्ष शैलेष दुबे को दखल देना पड़ा था, तब जाकर पोल हटाया गया।

▪️कथित रूप से इसी तरह हर्षित अभिमन्यु ने अपने वार्ड में नाली को अनावश्यक रूप से चौड़ा करवाया, जिससे मोहल्ले के वरिष्ठ नागरिकों को असुविधा हुई। इसे लेकर श्री कोठारी एवं अन्य रहवासियों ने बीच बाजार उन्हें खरी-खरी सुनाई और अगली बार वोट मांगने नहीं आने की चेतावनी दी। रहवासियों का कहना था की नाली चौड़ी कर देने से बदबू अधिक आने लगी एवं मच्छर बढ़ गए हम घर के बाहर अब बैठ नहीं सकते। 2 फीट के लगभग की नली खुली पड़ी रहने से दुर्घटना का खतरा भी बना रहता है। यह घटनाक्रम कई स्थानीय रहवासियों के सामने घटित हुआ।

▪️वर्तमान पेवर्स लगाने के प्रकरण में वरिष्ठ नागरिकों को निराधार नोटिस दिए जाने के मामले में वरिष्ठ इतिहासकार और समाजसेवी डॉक्टर के के त्रिवेदी ने पार्षद प्रतिनिधि एवं नगर पालिका के जिम्मेदारों की कार्यशैली को स्पष्ट रूप से गलत ठहराया है। डॉ. त्रिवेदी उस समय मौके पर मौजूद थे एवं समस्त घटनाक्रम के स्वयं साक्षी भी हैं।

इन घटनाओं से यह स्पष्ट होता है कि जब कोई अघोषित पार्षद प्रतिनिधि निजी द्वेषवश कार्य करवाने लगता है और आपत्ति लेने वालों को झूठे आरोपों में फंसाया जाता है, तो यह न केवल लोकतंत्र का अपमान है, बल्कि सत्ता का दुरुपयोग भी है।

अब जवाब चाहिए: अध्यक्ष प्रतिनिधि बिट्टू सिंगार से सीधे सवाल

जब आपने सार्वजनिक रूप से यह कहा था कि “कार्य बाध्यकारी नहीं है, जो रहवासी चाहेंगे वही होगा, कोई जबरदस्ती नहीं कर सकता”, तब आपसे यह अपेक्षा थी कि उस पर कायम रहेंगे।
अब जब आपकी नगरपालिका द्वारा निराधार नोटिस भेजे गए, तो क्या आपकी मौन सहमति आपकी भूमिका को स्पष्ट नहीं करती? आपसे लगातार संपर्क के बावजूद आपने मौन साध रखा है और कोई जवाब नहीं दिया है।

क्या आप अपने ही वचनों पर कायम नहीं रह सकते? यदि ऐसा है तो ये “रघुकुल रीत सदा चली आई प्राण जाए प्रवचन न जाई” वाले राम के आदर्शों पर चलने वाली भाजपा की कथनी और करनी में फर्क होना सिद्ध करता है।

समाचार में सीमित शब्दों की मर्यादा के चलते हिंदुओं के टैक्स के पैसों से भाई जान के साथ सांठ-गांठ एवं हैंड पंप रिपेयर के 50 लाख का समाचार आरटीआई की कॉपी के साथ अगले अंक में।👍

हिमांशु त्रिवेदी, संपादक, भील भूमि समाचार, Reg.MPHIN/2023/87093

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