कोतवाली में पूर्व में पदस्थ एक पुलिसकर्मी पर गंभीर आरोप; निलंबन के बावजूद फिर से पोस्टिंग की कथित कोशिशें

यह स्पष्ट किया जाता है कि:
“इस समाचार में व्यक्त की गई जानकारी विभिन्न धार्मिक व साजिक संगठनों से प्राप्त शिकायतों, स्थानीय सूत्रों और समाजिक चर्चाओं पर आधारित हैं। इनकी पुष्टि हमारे द्वारा स्वतंत्र रूप से नहीं की गई है। समाचार का उद्देश्य केवल जनभावनाओं को प्रशासन तक पहुँचाना है।”
झबुआ. कथित रूप से नगर कोतवाली में पूर्व में पदस्थ रहे एक पुलिसकर्मी को लेकर झाबुआ नगर में लगातार चर्चाओं का माहौल गर्माता जा रहा है। संपादक को अन्य पत्रकार, समाजसेवियों एवं हिन्दू संगठनों से प्राप्त शिकायतों के आधार पर एक रिपोर्ट तैयार की गई है, जो इस पुलिसकर्मी की कथित कार्यशैली, गतिविधियों और पुनः संभावित पोस्टिंग को लेकर जनसमुदाय की नाराजगी को दर्शाती है।
नगर के सामाजिक हलकों में यह चर्चा जोरों पर है कि उक्त पुलिसकर्मी के झाबुआ के कुछ सक्रिय सटोरियों से अत्यंत घनिष्ठ संबंध जग जाहिर हैं। कथित रूप से यह पुलिसकर्मी इन सटोरियों के साथ देर रात तक बैठकों और शराब पार्टी जैसी गतिविधियों में शामिल रहता है। जब भी इन व्यक्तियों का कोई निजी विवाद उत्पन्न होता है, तो यह व्यक्ति अपने पुलिस पद का दुरुपयोग कर उन मामलों को तोड़ने-मरोड़ने का प्रयास करता है।
शिकायतों में यह भी कहा गया है कि:
- इस पुलिसकर्मी पर बेगुनाहों को झूठे केस में फंसाकर कथित रूप से धन उगाही करने
- गुमशुदा आदिवासी बालिकाओं को ढूंढने के नाम पर आदिवासी परिवारों से कथित रूप से 10 से 20 हजार रुपये तक की राशि की मांग करने
- कसाइयों से बूचड़खाने चलवाने के लिए कथित रूप से अवैध लेन-देन करने जैसे गंभीर आरोप लगे हैं
- इसके अलावा, स्थानीय सूत्रों का दावा है कि यह व्यक्ति कथित रूप से जुए की टेबलों का संचालन भी करवा रहा है; सट्टा संचालन और जुए की टेबलों के संचालन में इसकी भूमिका संदेह के घेरे में रही है
- कथित रूप से ब्याज के पैसे के मामलों में मृत ही चुके व्यक्तियों (ललित) से भी लेन-देन कर चुका है
- बताया गया है कि वह साइबर शाखा को गुमराह कर कथित रूप से किसी भी व्यक्ति की लोकेशन अवैध रूप से प्राप्त कर 10-10 हजार रुपये वसूल करता है
- हाल ही में हुए डीजे विवाद में भी इस पुलिसकर्मी की संदिग्ध भूमिका सामने आई है, जिसमें उसने कथित रूप से यह कहकर डीजे संचालकों से मोटी रकम वसूली कि एफआईआर में उनका नाम सामने नहीं आने दिया जाएगा
- इतना ही नहीं, कथित रूप से आदिवासी गरीब परिवारों की बेटियों को ढूंढने के नाम पर उन्हें ढूंढने के लिए “एसी गाड़ियां” किराए पर लेने आदि व्यवस्थाओं को लेकर उनसे भी मोटी रकम लेने की शिकायतें सामने आई हैं
- कहा जा रहा है कि पूर्व में कल्याणपुर थाने में भी यह पुलिसकर्मी टीआई के नाम से राशि वसूलने के कारण चर्चाओं में रहा था
- वहीं, चर्चा है कि काकनवानी से भी घोटालों के कारण उसने पत्रकारों का ध्यान आकर्षित किया था।
अब फिर से प्रभावशाली संपर्कों के माध्यम से कोतवाली में पोस्टिंग की पुरजोर कोशिश की जा रही है।
नगरवासियों की शिकायत है कि इस प्रकार की कार्यशैली पुलिस विभाग की छवि को निरंतर धूमिल कर रही है। ऐसे व्यक्तियों को पुनः कोतवाली जैसे जिम्मेदार पदों पर नियुक्त किया गया, तो आमजन का कानून व्यवस्था पर से विश्वास उठ जाएगा।
पत्रकार महासंघ एवं जागरूक नागरिक प्रशासन से मांग करते हैं कि ऐसे पुलिसकर्मियों की नियुक्ति से पूर्व गहन जांच की जाए, दोषी पाए जाने पर कठोरता विभाग स्तरीय कार्रवाई की जाए एवं जनभावनाओं का सम्मान करते हुए निर्णय लिया जाए, जिससे जिले की कानून व्यवस्था की गरिमा बनी रहे।
हिमांशु त्रिवेदी, संपादक, भील भूमि समाचार, Reg.MPHIN/2023/87093