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हाउसिंग बोर्ड की लापरवाही छुपाने ले लिए पूर्व व्यापारी संघ अध्यक्ष संजय कांठी पर बुलडोजर कार्रवाई?

कथित 30 साल पुराने दस्तावेजों ने खोली सच्चाई

सेप्टिक टैंक को लेकर विवाद, संजय काठी ने हटाया निजी जमीन पर बना सेप्टिक टैंक

पुरानी हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी, जो कि शंकर मंदिर और केशव विद्यापीठ स्कूल के क्षेत्र में स्थित है, वहां एक पुराने सार्वजनिक सेप्टिक टैंक को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। यह टैंक करीब 25 साल पहले हाउसिंग बोर्ड द्वारा बनाए जाने का दावा किया जा रहा है, लेकिन बिल्डर संजय काठी का कहना है कि यह टैंक उनकी निजी भूमि पर अवैध रूप से बनाया गया था, जिसमें अब किसी भी मकान का पानी नहीं आता।

हाउसिंग बोर्ड रहवासियों ने क्या कहा:

संजय काठी ने करीब एक महीने पहले अपनी निर्माण योजना के तहत इस टैंक को तोड़ दिया, जिसके बाद स्थानीय रहवासियों ने इसपर आपत्ति दर्ज की। रहवासियों का कहना है कि भले ही टैंक संजय काठी की निजी जमीन पर हो, उसे तोड़ने का अधिकार केवल प्रशासन को था, न कि किसी आम नागरिक को।

दस्तावेजों के साथ संजय काठी ने पेश की पारदर्शिता, बोले – प्रशासन से सिर्फ न्याय चाहिए

संजय काठी का पक्ष साफ है—“मेरी निजी जमीन पर वर्षों से गंदगी डाली जा रही थी, लेकिन मैंने कोई आपत्ति नहीं ली क्योंकि मेरी निर्माण की कोई योजना नहीं थी। अब जब मेरी योजना बनी है, तो मैंने बंद पड़ा सेप्टिक टैंक हटाया है। यह मेरा संवैधानिक अधिकार है।”

उन्होंने कहा कि उन्होंने पहले ही जिला प्रशासन से अपनी भूमि का सीमांकन कराने की मांग की थी, लेकिन उसे अब तक अनसुना किया गया।

रहवासियों ने कलेक्टर से क्या शिकायत की, और जांच के बाद क्या उत्तर आया:

मूल शिकायत (आवेदन):

(यह आवेदन सेप्टिक टैंक के पुनर्निर्माण के संबंध में होने की बजाए संजय काठी द्वारा पास के अन्य स्थान पर किए जा रहे नए निर्माण को लेकर दिया गया)

1. संजय काठी नामक व्यक्ति द्वारा शासकीय (सरकारी) भूमि पर अवैध निर्माण किया जा रहा है।

2. जब महिलाएं विरोध करती हैं, तो उनके साथ गाली-गलौज की जाती है।

3. उनके द्वारा बनाए जा रहे घरों की वजह से वाहनों के आने-जाने में कठिनाई हो रही है।

4. ऐसा लगता है कि संजय काठी अपनी धन-दौलत और प्रभाव का गलत उपयोग कर रहे हैं।

5. प्रशासन मामले की जांच करके कार्रवाई करे।

प्रशासन की कार्रवाई:

1. रहवासियों की शिकायत पर प्रशासन ने TL पत्रांक 402 दिनांक 14.01.2025 के तहत मामला दर्ज किया और तहसीलदार झाबुआ को जांच सौंपी।

2. तहसीलदार द्वारा की गई जांच में पाया गया कि:

संजय काठी द्वारा जो भूमि (सर्वे नंबर 45 और 47, ग्राम उदयपुरिया) पर निर्माण किया जा रहा है, वह भूमि उनके निजी नाम पर दर्ज है – यानी यह शासकीय भूमि नहीं है।

राजस्व रिकॉर्ड में स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि भूमि संजय काठी और रेखा काठी के नाम पर दर्ज है।

इसलिए कोई अवैध कब्जा या शासकीय भूमि पर निर्माण नहीं पाया गया।

3. इस आधार पर प्रशासन ने शिकायत (TL 402) को विलोपित (निरस्त) करने की अनुशंसा की है।

फिर बुलडोजर जेसीबी कार्यवाही क्यों?

जब सेप्टिक टैंक के पुनर्निर्माण का कोई आवेदन दिया ही नहीं गया और संजय काठी की जमीन पर हाउसिंग बोर्ड व अन्य के पहले से कई अतिक्रमण हैं इसके बावजूद आज शुक्रवार को प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए कथित रूप से संजय काठी के चल रहे अधूरे निर्माण पर बुलडोजर चला दिया। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा, “जब जिला कलेक्टर द्वारा इस शिकायत के संबंध में मुझे दोष मुक्त माना गया है तो फिर ये कार्यवाही किसके आदेश से की गई? मेरी किसी भी रहवासी से व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं है। मेरी जमीन पर बने मकानों से मुझे कोई आपत्ति नहीं है। मैंने कभी किसी को हटाने की कोशिश नहीं की। लेकिन यदि प्रशासन उल्टा मुझे ही दोषी ठहराया, तो मैं निश्चित रूप से न्यायालय की शरण लूंगा।”

प्रशासन के आगे दलील देते संजय कांठी और कार्यवाही का वीडियो:

 

संजय काठी ने 30 साल पुराने से लेकर अब तक के सारे दस्तावेज पत्रकारों को दिखाए, जो इस बात का प्रमाण हैं कि संबंधित भूमि उनकी है। उन्होंने आरोप लगाया कि हाउसिंग बोर्ड अपनी प्रशासनिक गड़बड़ियों और दशकों पुरानी लापरवाहियों को छिपाने के लिए उन पर दबाव बना रहा है, और बुलडोजर कार्रवाई के जरिए डराने की कोशिश कर रहा है जो होने वाला नहीं है। मुझे बेवजह परेशान किया जा रहा है, जिला प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारियों को नक्शों में हेरा फेरी और जमीन से जुड़े अनेक मामलों में बड़ी गड़बड़ियों का जवाब न्यायालय में देना पड़ेगा।

क्या प्रशासन के पास जवाब है कि –

1.जिला कलेक्टर से शिकायत सेप्टिक टैंक को तोड़े जाना या उसे दोबारा बनाए जाने की बजाय दूसरे निर्माण के संबंध में क्यों की गई? मतलब क्या यह सत्य है कि संजय कांठी ने सेप्टिक टैंक स्वयं हटाकर गलत नहीं किया था?

2. महिलाओं से गली गलोज का आरोप पुलिस स्टेशन में क्यों नहीं लगाया? क्या यह संजय कांठी की छवि खराब करने की कोशिश मात्र थी?

3. आरटीआई (सूचना के अधिकार) में जानकारी क्यों नहीं मांगी गई? क्या नतीजा संजय कांठी के पक्ष में आने का डर था?

4. जब संजय काठी खुद प्रशासन से अपनी जमीन की सीमा बनवाना चाहते हैं तो प्रशासन सीमांकन क्यों नहीं कर रहा? व्यापारी को उसकी सीमा बताए बिना उसका निर्माण बिना नोटिस तोड़ना कितना उचित?

निराकरण की रास्ता:

यह विवाद केवल एक सेप्टिक टैंक या निर्माण की कहानी नहीं है, बल्कि यह प्रशासनिक निष्पक्षता और नागरिक अधिकारों की भी परीक्षा है। संजय काठी ने जहां पारदर्शिता दिखाई है, वहीं अब बारी प्रशासन की है कि वह निष्पक्ष सीमांकन कराकर हकीकत सामने लाए, जिससे सभी रहवासी आपसी प्रेम और सहयोग से जीवन यापन कर सकें।

हिमांशु त्रिवेदी, प्रधान संपादक, भील भूमि समाचार, Reg.MPHIN/2023/87093

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