प्रशासनिक/राजनैतिक

झाबुआ नगरीय क्षेत्रों में भाजपा की स्थिति कमजोर! कैलाश विजयवर्गीय की सभा हुई फ्लॉप!!

झाबुआ नगरीय क्षेत्रों में भाजपा की स्थिति कमजोर! कैलाश विजयवर्गीय की सभा हुई फ्लॉप!!

30 अप्रैल 2024 को भाजपा द्वारा ‘विकास संवाद@400’ सभा का आयोजन स्थानीय शिव वाटिका में किया गया।

चुनावी आयोजन में जिलेभर से व्यापारियों एवं प्रबुद्धजनों को आमंत्रित किया गया। बतौर मुख्य अतिथि नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय समेत भाजपा के अन्य बड़े नेता आमंत्रित किए गए; बतौर विशेष अतिथि वन मंत्री नागर सिंह चौहान एवं जिलाध्यक्ष भानु भूरिया समेत सांसद प्रत्याशी अनीता चौहान भी उपस्थित रहे।

अनुमानित संख्या के विपरीत बमुश्किल लगभग 30 प्रतिशत सीटें ही भर पाई। 

भाजपा आलाकमान के लिए चिंतन का विषय

हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में झाबुआ विधानसभा के नगरीय क्षेत्रों से भाजपा को कहीं घटे हुए वोट तो कहीं हार का सामना करना पड़ा।

नगरीय क्षेत्रों में पहले लीड लेने वाली भाजपा जन संपर्क में मारे जा रहे शॉर्ट कट एवं सामान्य वर्ग के प्रति पार्टी के उदासीन रवैया के चलते लगातार कामजोर होती दिखाई दे रही है। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण इस आयोजन में देखने मिला जहां सामान्य वर्ग नदारद दिखाई दिया।

नगरीय सूत्रों के मुताबिक सामान्य वर्ग का वोटर भाजपा से दूरी बनाए हुए है, कथित रूप से जिसका मुख्य कारण भाजपा के राज में क्षेत्रवादी एवं विघटनकारी शक्तियों का बढ़ता प्रभाव है।

कथित रूप से नेता एवं संगठन इसे अपनी मौन स्वीकृति एवं संरक्षण दिए हुए हैं, जिससे व्यापारियों व अन्य सामान्य वर्ग में एक ओर दहशत तो दूसरी ओर विरोध के स्वर सुनाई देते हैं।

क्षेत्र का नया ट्रेंड: हम असली तुम नकली!

अपने लोगों की नजरों में अपने आप को अपने समाज का मसीहा सिद्ध करने की होड़ लगी है। कुछ संगठन तो बस इसी फिराक में बैठे रहते हैं कि कब कोई अंतर्जातीय मामला आए और कैसे राई का पहाड़ बनाया जाए?

क्षेत्र में घटित छोटी-मोटी घटनाओं में जाति ढूंढ लेना, सोशल मीडिया पर ट्रॉलिंग, धमकी, प्रशासन पर संगठनात्मक दबाव बनाकर अल्पसंख्यक सामान्य वर्ग पर हावी होना आखिर कहां की बहादुरी है??

एक हाथ से बजती समरसता की ताली

22 जनवरी को नगरीय क्षेत्रों को राममय करने वाला सामान्य वर्ग का वोटर हो या राम नवमी पर 11000 हनुमान चालीसा पाठ करने वाला सामान्य वर्ग का वोटर, हिंदू वोटर भगवा पार्टी से आखिर खफा क्यों इसका जवाब जानना ज़्यादा मुश्किल नहीं।

गले में पड़ा गमछा ऊपर से भगवा हो और अंदर से पीला तो ज्यादा दिन छुप नहीं सकता।

कांग्रेस कौन सी दूध की धुली है?

कथित रूप से समाज में कांग्रेस के भी इसी विचारधारा से ग्रसित होने की चर्चाएं होती हैं।

उल्लेखनीय है कि समय समय पर स्थानीय कांग्रेस नेतृत्व की ओर से भील प्रदेश की परिकल्पना के संबंध में आए बयानों और इस विचारधारा के पोषक संगठनों के साथ राजनैतिक गठजोड़ ने सामान्य वर्ग के वोटर्स की कांग्रेस के प्रति डिसीजन मेकिंग को खासा प्रभावित किया है।

पेटलावाद विधानसभा की हार के बाद हाल ही में एक कांग्रेस विधायक का वीडियो वायरल हुआ, जिसमें वे जयस वाली बात करने वालों के हाथ काटने की बात कहते नज़र आए! हालांकि वीडियो की सत्यता की पुष्टि नहीं हुई लेकिन समाज में संदेश चला गया कि कांग्रेस ने अब अपनी नीति बदल ली है।

अंचल का सामान्य वोटर निर्विकल्प हो गया है जिसका प्रभाव वोटिंग प्रतिशत में कमी के तौर पर भी देखने को मिल सकता है। अभी भी देर नहीं हुई है, कहते हैं ना कि ‘जब जागो तब सवेरा’..

हिमांशु त्रिवेदी, प्रधान संपादक, भील भूमि समाचार पत्र, Reg.MPHIN/38061

 

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