
झाबुआ में अपने बच्चों को श्रेष्ठ स्कूली शिक्षा देने के लिए माता-पिता कोई भी कीमत चुकाने को तैयार हैं। बड़े-बड़े प्राइवेट स्कूलों की मोटी फीस बच्चों के भविष्य के आगे मायने नहीं रखती।
लेकिन क्या झाबुआ में वह गुणवत्ता जिसके लिए मुंह मांगी कीमत दी जा रही है विद्यार्थियों को वाकई में मिल रही है? यह एक बड़ा प्रश्न है जो लगातार अभिभावकों में चर्चा एवं चिंता का विषय बना रहता है।
ये है हालत
- नामी-गिरामी स्कूलों में पढ़ रहे छात्र बिना ट्यूशन के पासिंग मार्क्स तक नहीं ला पाते!
- जहां बड़े शहरों में तीसरी चौथी के बच्चे फर्राटेदार इंग्लिश बोलते हैं, वहीं यहां 11वीं 12वीं के छात्र-छात्रा इंग्लिश तो दूर हिंदी में भी व्यवस्थित संवाद ना कर पाएं तो गुणवत्ता पर तो प्रश्न उठेगा ही?
- अनुशासनहीन और शिक्षकों एवं माता-पिता के नियंत्रण से बाहर बच्चे, गलत भाषा, संस्कारों की कमी एवं बहुत छोटी उम्र से व्यसनों की ओर आकर्षित बच्चे हर गली हर घर में अब देखे जा सकते हैं।
क्या है उम्मीदें
ऐसे वातावरण में केवल ऐसे विद्यालय ही विद्यार्थियों को एक बेहतर भविष्य दे सकते हैं जो मजबूत शैक्षणिक नींव, सर्वांगीण विकास, अच्छे संस्कार एवं व्यसन मुक्त युवा पीढ़ी का सृजन कर पाएं।
इस कसौटी पर अंकुरम इंटरनेशनल स्कूल ने करवाई ‘आत्म समीक्षा’
गुणवत्ता के इन मापदंडों के आधार पर झाबुआ के अंकुरम इंटरनेशनल स्कूल द्वारा अपने विद्यालय की व्यवस्थाओं की समीक्षा करने हेतु जिले के पत्रकारों को पत्रकार वार्ता के लिए आमंत्रित किया गया।
उल्लेखनीय है कि अंकुरम इंटरनेशनल स्कूल में:
- हर कक्षा में प्रोजेक्टर द्वारा संचालित आधुनिक स्मार्ट क्लासेस
- उत्कृष्ट शिक्षा के तय मापदंडों के अनुरूप ट्रेनिंग प्राप्त अनुभवी शिक्षक
- स्कूल का उत्कृष्ट इंफ्रास्ट्रक्चर जिसमें उन्नत कंप्यूटर लैब एवं व्यापक लाइब्रेरी
- शिक्षा के साथ-साथ सर्वांगीण विकास हेतु आर्ट एंड क्राफ्ट समेत अनिवार्य स्पोर्ट्स फैसिलिटीज जिसमें मानकों पर खरा विशाल प्ले-ग्राउंड आदि माजूद हैं।
एक रिसर्च के मुताबिक व्यसन करने वालों के संपर्क में रहने वाले बच्चों में व्यसन करने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है –स्कूल डायरेक्टर, लोकेश दवे
उल्लेखनीय है कि वार्ता में स्कूल के डायरेक्टर डॉ. लोकेश दवे द्वार कहा गया की बच्चे आधा घंटा सुबह आते वक्त और आधा घंटा जाते वक्त वाहन चालकों के साथ रहते हैं। हमारे द्वारा संचालित की जाने वाली स्कूल वैन में सामान्य से बेहतर एवं व्यसन मुक्त ड्राइवर एवं हर वाहन में एक महिला परिचालक अनिवार्य रूप में उपस्थित रहती है।
- हर कक्षा में सीसीटीवी कैमरा एवं स्कूल के कॉरिडोर एवं समूचे प्रांगण में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं।
- स्कूल प्राचार्य से प्राप्त जानकारी के अनुसार सुबह होने वाली असेंबली एवं प्रार्थना सभा में कक्षा दूसरी एवं तीसरी के बच्चों को भी मंच संचालन एवं सभा को संबोधित करने के अवसर दिए जाते हैं। इस प्रकार कुछ ही सालों में बच्चों का व्यक्तित्व विकास तेजी से होता है।
स्कूल संचालकों की पृष्ठभूमि
गौरतलब है कि अंकुरम इंटरनेशनल के डायरेक्टर डॉक्टर लोकेश दवे एवं डॉक्टर चारुलाता दवे उच्च शिक्षा एवं मजबूत सामाजिक पृष्ठभूमि से आते हैं। डॉक्टर दवे से प्राप्त जानकारी के अनुसार इस वर्ष कक्षा आठवीं प्रारंभ की जा रही है, इसके साथ साथ बच्चों के लिए जिम/व्यामशाला एवं हॉर्स-राइडिंग के नए प्रकल्प प्रारंभ किए जा रहे हैं।
सामान्य से अलग
- बच्चों की सुरक्षा एवं अनुशासन को दृष्टिगत रखते हुए बच्चों के आने एवं जाने पर आईडेंटिटी कार्ड स्कैनर मुख्य द्वार पर लगाए गए हैं।
- इसी प्रकार वाटर कूलर की नियमित सफाई के लिए विशेष सफाई कर्मी नियुक्त किए गए हैं।
- विद्यालय की बिल्डिंग एवं कक्षाओं में लगा फर्नीचर अत्याधुनिक डिजाइन एवं आकर्षक रूप से निर्मित किया गया है, जिसके गुणवत्ता देखते ही बनती है।
हिंदू नववर्ष के उपलक्ष में फीस में 50% की छूट
जमीन से जुड़े एवं भारतीय संस्कृति को आत्मसात करती विचारधारा के वाहक अंकुरम इंटरनेशनल स्कूल के संचालकों द्वारा 22 मार्च से प्रारंभ हो रही नवरात्रि के दौरान स्कूल में एडमिशन लेने वाले छात्र-छात्राओं के लिए एडमिशन फीस में 50% की छूट दी जाने की घोषणा की गई है।
स्कूल परिसर का भ्रमण करने पर स्पष्ट रूप से एक सकारात्मक ऊर्जा की अनुभूति एवं संचालकों व शिक्षकों द्वारा विद्यार्थियों को बेहतर से बेहतर शिक्षा एवं सर्वांगीण विकास हेतु अपना शत-प्रतिशत देने के प्रयास महसूस किए जा सकते हैं।
हिमांशु त्रिवेदी
प्रधान संपादक, भील भूमि समाचार पत्र