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झाबुआ में लाउडस्पीकरों का आतंक: ध्वनि प्रदूषण के नए तरीके पर प्रशासन का मौन

लाउडस्पीकर का अंधाधुंध उपयोग: छात्रों और नागरिकों के लिए बड़ी समस्या

झाबुआ शहर में लाउडस्पीकर के अत्यधिक और अनियंत्रित उपयोग से छात्रों और आम नागरिकों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। सब्जी विक्रेताओं, रद्दी खरीदने वालों और अन्य छोटे व्यापारियों द्वारा अपने सामान के प्रचार-प्रसार के लिए लाउडस्पीकर का अंधाधुंध उपयोग किया जा रहा है।

सुनिए नमूना:

शिक्षा पर सीधा असर:

दिनभर गलियों और मोहल्लों में तेज आवाज वाले लाउडस्पीकर बजाए जा रहे हैं, जिससे छात्रों को पढ़ाई में बाधा होती है। खासकर वार्षिक परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्र इस शोरगुल से काफी प्रभावित हो रहे हैं। सुबह जल्दी उठकर पढ़ाई करने वाले छात्र और योग, प्राणायाम, पूजा-पाठ करने वाले लोग शांति भंग होने की शिकायत कर रहे हैं।

स्थानीय नागरिकों का कहना है कि सुबह का समय आमतौर पर शांति से पूजा-पाठ और आध्यात्मिक गतिविधियों का होता है, लेकिन इन विक्रेताओं के लाउडस्पीकर ने माहौल को असहनीय बना दिया है। कई बार एक-एक गाड़ी पर दो-दो लाउडस्पीकर बजाए जाते हैं, जिससे शोरगुल दोगुना हो जाता है।

प्रभावित छात्रों और नागरिकों की मांग:

  • लाउडस्पीकर के उपयोग पर तत्काल रोक लगाई जाए।
  • शिक्षा और परीक्षाओं को ध्यान में रखते हुए, जिला प्रशासन इन विक्रेताओं के लाउडस्पीकर को जब्त करने या हटाने की कार्रवाई करे।
  • डीजे प्रतिबंध की तर्ज पर इन लाउडस्पीकरों को भी नियमन के दायरे में लाया जाए।

शिक्षकों ने भी जताई चिंता:

स्थानीय स्कूलों और कॉलेजों के शिक्षकों ने भी इस समस्या पर चिंता जताई है। उनका कहना है कि लाउडस्पीकर का शोर बच्चों की एकाग्रता को प्रभावित कर रहा है, जिससे उनकी पढ़ाई पर बुरा असर पड़ रहा है।

प्रशासन से अपील:

नगरवासियों का मानना है कि जिला प्रशासन और पुलिस विभाग को इस समस्या पर तुरंत संज्ञान लेना चाहिए। लोगों की मांग है कि लाउडस्पीकर पर प्रतिबंध लगाकर शांति व्यवस्था बहाल की जाए, ताकि छात्रों की पढ़ाई और नागरिकों का दैनिक जीवन बाधित न हो।

हिमांशु त्रिवेदी, भील भूमि समाचार, Reg.MPHIN/2023/87093

 

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