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महापंचायत से निराश होकर खाली हाथ लौटे जनभागीदारी स्ववित्त अतिथि विद्वान

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अतिथि विद्वानों के लिए भोपाल में महापंचायत बुलाई तो प्रदेश के शासकीय महाविद्यालयों में पढ़ाने वाले जनभागीदारी मद से नियुक्त अतिथि विद्वान भी यह आस लगाकर भोपाल पहुंचे की महापंचायत में हमारे लिए भी मुख्यमंत्री जी कोई अच्छी घोषणा करेंगे ,परंतु अतिथि विद्वानों को महापंचायत में प्रवेश तक नही दिया गयाा। फिर भी जनभागीदारी मद से नियुक्त अतिथि विद्वान महापंचायत में सकारात्मक घोषणा की असालिया भूखे प्यासे बैठे रहे, लेकिन अंत में निराश ही हाथ लगी।

आपको जानकर हैरानी होगी कि रिक्त पदों पर कार्य करने वाले अतिथि विद्वानों के लगभग बराबर संख्या में ही जनभागीदारी स्ववित्त अतिथि विद्वान भी हैं ,जो १५ -२० सालों से इन विषयों को पढ़ा रहे हैं।

एक समान योग्यता रखने के बावजूद इनका वेतनमान एवं कार्यकाल रिक्त पदों पर कार्य करने वाले अतिथि विद्वानों से बहुत कम है।

ये अतिथि विद्वान अपनी प्रमुख मांग कि इनका वेतनमान एवं कार्यकाल रिक्त पदों पर कार्य करने वाले अतिथि विद्वानों के समान किया जाए को लेकर अभी भी संघर्ष कर रहे है।

प्रदेश में सरकारी कॉलेजों में दो तरह के अतिथि विद्वान कार्य करते है, एक तो प्रदेश कॉलेजों में चलाए जाने वाले रोजगारोन्मुखी विषयों के साथ साथ परंपरागत विषयों में जनभागीदारी मद से नियुक्त होने वाले अतिथि विद्वान है एवम दूसरे रिक्त पदों पर कार्य करने वाले अतिथि विद्वान।

दोनो ही तरह के अतिथि विद्वानों की नियुक्ति उच्च शिक्षा विभाग द्वारा तय किए गए मापदंडों के तहत हुई है परंतु इनके वेतनमान एवम कार्यकाल में बड़ी विसंगति है।

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