प्रशासनिक/राजनैतिक

झाबुआ नगर पालिका की सुस्त कार्यशैली का जीता-जागता उदाहरण: बीच-बाज़ार दुर्घटना को न्योता देती 80 दिन से खुली पड़ी नाली

पिछली बार जब यह नाली खुली रखी गई थी तब अंधेरे में शाम 7.30 पर इसमें गिरकर 40 वर्ष के व्यक्ति का कंधा उतर गया था, जिसके समस्त दुकानदार साक्षी हैं। इस स्थान पर पाव-भाजी, पानी पुरी, मंचूरियन समेत कई सारे स्ट्रीट फूड की गाड़ियां नियमित रूप से लगती हैं। इन दुकानों पर आने वाले ग्राहकों में विशेष रूप से बच्चे एवं महिलाएं शामिल होते हैं।

दुकानदारों ने ढक रखी अस्थाई फर्शी, एक गलत कदम और बड़ा हादसा:

नाली साफ करने के लिए बनी बनाई नाली को तोड़कर खुद नगर पालिका द्वारा इसे खुला छोड़ दिया गया। जबकि नाली की सफाई हो जाने के बाद इसे तुरंत बंद किया जाना था।

20 अगस्त 2024 को नगर पालिका के जिम्मेदारों को बाकायदा व्हाट्सएप पर इसकी सूचना दी गई थी, जवाब में आश्वासन भी प्राप्त हुआ था।

अब 80 दिन बीत जाने के बाद भी यह हादसे को आमंत्रण देती खुली नाली नगर पालिका की लचर कार्यशाली को जग जाहिर करती है।

यह 4 फीट लंबी 4 फीट चौड़ी और 5 फीट गहरी नाली किसी भी बच्चे के लिए काल का गाल साबित हो सकती है। 24 अक्टूबर 2024 याने 15 दिन पहले भी जिम्मेदारों से निवेदन किया गया था, जिसका स्क्रीनशॉट संलग्न है।

छोटे-छोटे कामों के लिए बार-बार निवेदन के बाद भी नागरिकों की सुरक्षा, पब्लिक प्लेस की स्वच्छता एवं नगर के सौंदर्यीकरण के प्रति वर्तमान नगर पालिका का सुस्त रवैया उम्मीदों के विपरीत है।

हिमांशु त्रिवेदी, संपादक भील भूमि समाचार

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