जयस: कथित जाति परिवर्तन का गंभीर आरोप, एसटी सामुदाय के अधिकारों का हवाला

नोट: यह लेख केवल तथ्यों के आधार पर उपलब्ध जानकारी को संज्ञान में लाते हुए जारी किया जा रहा है। इस मामले में जो आरोप लगाए गए हैं, वे प्रमाणित नहीं हुए हैं, और हम इन आरोपों की सत्यता की पुष्टि नहीं कर रहे हैं। लेकिन, यह ध्यान में रखते हुए कि यह एक गंभीर और संवेदनशील मामला है, इसे सार्वजनिक चर्चा का हिस्सा बनाया जा रहा है।
मामले का संक्षिप्त विवरण:
जयस जिला अध्यक्ष विजय डामोर से प्राप्त जानकारी के अनुसार कथित रूप से, श्री अक्षय गुप्ता (जिन्हें बाद में अक्षय सिंह मरकाम के नाम से पहचान मिली) ने 2013 के बाद जाति परिवर्तन कर अनुसूचित जनजाति (ST) के तहत सरकारी सेवाओं में चयन प्राप्त किया है। यह आरोप लगाया गया है कि श्री गुप्ता ने ST जाति का प्रमाण पत्र बनवाकर मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) की राज्य सेवा परीक्षा में चयन प्राप्त किया और बाद में UPSC की परीक्षा में भी सफलता प्राप्त की।
इसके अलावा, विधायक हीरालाल अलावा ने अपनी फेसबुक पोस्ट में इस मामले को उठाया और इस विषय पर अपनी चिंता जाहिर की। उन्होंने यह आरोप लगाया कि इस तरह की घटनाओं से अनुसूचित जनजाति समुदाय का हक छीना जा रहा है और प्रशासन में बड़ी लापरवाही हो रही है।
गंभीर बिंदु:
1. जाति प्रमाण पत्र का दुरुपयोग: आरोप लगाया गया है कि श्री अक्षय गुप्ता, जो पहले सामान्य वर्ग से संबंधित थे, ने जाति प्रमाण पत्र का गलत तरीके से इस्तेमाल किया।
2. ST समुदाय के अधिकारों का उल्लंघन: यदि यह आरोप सही हैं, तो इसका सीधा प्रभाव अनुसूचित जनजाति समुदाय के आरक्षित लाभों पर पड़ता है।
3. प्रशासनिक लापरवाही: आरोप यह भी है कि जाति प्रमाण पत्र जारी करने में प्रशासनिक लापरवाही हुई, जिसके कारण यह दुरुपयोग संभव हुआ।
हम प्रशासन से अनुरोध करते हैं कि इस मामले की पूरी निष्पक्षता से जांच की जाए, ताकि सत्य सामने आ सके और अनुसूचित जनजाति समुदाय के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित की जा सके।
हिमांशु त्रिवेदी, भील भूमि समाचार, Reg.MPHIN/2023/87093